Tuesday 30 October 2012

Mazeed Amjad, मजीद अमजद

 Mazeed Amjad
June 29, 1914 – May 11, 1974
1.
पनवाडी
बूढा पनवाडी, उस के बालों में मांग है न्यारी
आँखों में जीवन की बुझती अग्नि की चिंगारी
नाम की इक हट्टी के अन्दर बोसीदा अलमारी
आगे पीतल के तख्ते पर उस की दुनिया सारी

पान, कत्था, सिगरेट, तम्बाकू, चूना, लोंग, सुपारी

उम्र उस बूढ़े पनवाडी की पान लगाते गुजरी
चूना घोलते, छालिया काटते, कत्था पिघलाते गुजरी
सिगरेट की खाली डिब्बियों के महल बनाते गुजरी
कितने शराबी मुश्तारियों से नैन मिलाते गुजरी

चंद कसीले पत्तों की गुत्थी सुलझाते गुजरी

कौन इस गुत्थी को सुलझाए, दुनिया एक पहेली
दो दिन एक फटी चादर में दुःख की आंधी झेली
दो कडवी साँसें लीं, दो चिलमों की राख उंडेली
और फिर उस के बाद न पूछों, खेल जो होनी खेली

पनवाडी की अर्थी उठी, बाबा, अल्लाह बेली

सुभ भजन की तान मनोहर झनन झनन लहराए
एक चिता की राख हवा के झोंकों में खो जाए
शाम को उस का कमसिन बाला बैठा पान लगाए
झन झन, ठन ठन, चूने वाली कटोरी बजती जाए

एक पतंगा दीपक पर जल जाए, दूसरा आये
2.
 
दिल ने एक एक दुःख सहा तनहा

 दिल ने एक एक दुःख सहा तनहा
अंजुमन अंजुमन रहा तनहा

ढलते सायों में तेरे कूचे से
कोई गुज़रा है बारहा, तनहा

तेरी आहट क़दम क़दम, और मैं
उस मईयत में भी रहा तनहा

कुहना यादों के बर्फ-ए-जारों से
एक आंसू बहा, बहा तनहा

डूबते साहिल के मोड़ पे दिल
इक खंडहर सा रहा सहा, तनहा

गूंजता रह गया खलाओं में
वक़्त का एक कहकहा, तनहा 

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