1.
हाल दुःख देगा तो माजी पे नज़र जायेगी
हाल दुःख देगा तो माजी पे नज़र जायेगी
ज़िन्दगी हादसा बन बन कर गुज़र जायेगी
तुम किसी राह से आवाज़ न देना मुझ को
ज़िन्दगी इतने सहारे पे ठहर जायेगी
तेरे चेहरे की उदासी पे है दुनिया की नज़र
मेरे हालत पे अब किस की नज़र जायेगी
तुम जो ये मशवरा-ए-तर्क-ए-वफा देते हो
उम्र एक रात नहीं है जो गुज़र जायेगी
उनकी यादों का तसलसुल जो कहीं टूट गया
ज़िन्दगी तू मेरी नज़रों से उतर जायेगी
ज़िन्दगी हादसा बन बन कर गुज़र जायेगी
तुम किसी राह से आवाज़ न देना मुझ को
ज़िन्दगी इतने सहारे पे ठहर जायेगी
तेरे चेहरे की उदासी पे है दुनिया की नज़र
मेरे हालत पे अब किस की नज़र जायेगी
तुम जो ये मशवरा-ए-तर्क-ए-वफा देते हो
उम्र एक रात नहीं है जो गुज़र जायेगी
उनकी यादों का तसलसुल जो कहीं टूट गया
ज़िन्दगी तू मेरी नज़रों से उतर जायेगी
2.
मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तिहान क्या लेगा
ये एक मेला है वादा किसी से क्या लेगा
ढलेगा दिन तो हर इक अपना रास्ता लेगा
ढलेगा दिन तो हर इक अपना रास्ता लेगा
मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊंगा
कोई चराग नही हूँ जो फिर जला लेगा
कोई चराग नही हूँ जो फिर जला लेगा
कलेजा चाहिए दुश्मन से दुश्मनी के लिए
जो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा
जो बे-अमल है वो बदला किसी से क्या लेगा
हज़ार तोड़ के आ जाऊं उस से रिश्ता ‘वसीम’
मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
मैं जानता हूँ वो जब चाहेगा बुला लेगा
3.
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपायें कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे
घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे
क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है
हँसनेवाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे
कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा
एक क़तरे को समुन्दर नज़र आयें कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक नज़र आयें कैसे
घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे
क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है
हँसनेवाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे
कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा
एक क़तरे को समुन्दर नज़र आयें कैसे
4.
आपको देख कर देखता रह गया
आपको देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया
आते-आते मेरा नाम-सा रह गया
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया
वो मेरे सामने ही गया और मैं
रास्ते की तरह देखता रह गया
झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये
और मैं था कि सच बोलता रह गया
आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया
5.
कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा
कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा
मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा
समन्दर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेता ,
ज़मीं का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगा
मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता ,
कहीं तू बढ़ भी सकता है, कहीं तू मुझ से कम होगा
मेरे जैसा यहाँ कोई न कोई रोज़ कम होगा
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना रो चुका हूँ मैं
कि तू मिल भी अगर जाये तो अब मिलने का ग़म होगा
समन्दर की ग़लतफ़हमी से कोई पूछ तो लेता ,
ज़मीं का हौसला क्या ऐसे तूफ़ानों से कम होगा
मोहब्बत नापने का कोई पैमाना नहीं होता ,
कहीं तू बढ़ भी सकता है, कहीं तू मुझ से कम होगा