Friday 5 April 2013

फिर गुजरे उन्हीं रास्तों से

आज
फिर गुजरे
उन्हीं रास्तों से
जिन रास्तों पर
हम कभी बिछड़े थे

एक तुझसे
बिछड़ने के बाद
कल तक के
जाने-पहचाने
रास्तों ने, इंसानों ने,
सब ने
इस तरह
अजनबी निगाहों से,
देखा मुझे ..
जैसे मेरा,
इन रास्तों से
कभी कोई वास्ता ही
न रहा हो

कभी-कभी
एक शख्स के
बिछड़ने से,
ज़िन्दगी में,
कितना कुछ
बदल जाता है,
पूरी ज़िन्दगी ही
बदल जाती है
-आराधना सिंह

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