वो भी
क्या ज़माने थे
जब हम तुम्हें
ख़त लिखा करते थे
एक-एक
लफ्ज़ लिखने
से पहले
सौ-सौ बार
सोचा करते थे
ख़त में तुम्हें
दिल का
हर वाकया,
पैगामे-मुहब्बत
लिखा करते थे
होते थे तुम
हमारे खुदा
और हम तुमसे
ख़त के बहाने
फ़रियाद
किया करते थे
मुद्दतों बाद
मिलने पर
तुमने कहा,
तो तुम्हें
याद है
कि कभी तुम, हमें
ख़त लिखा करते थे
कहाँ गए वो ज़माने
जब तुम
हमारे हुआ करते थे
-आराधना सिंह
क्या ज़माने थे
जब हम तुम्हें
ख़त लिखा करते थे
एक-एक
लफ्ज़ लिखने
से पहले
सौ-सौ बार
सोचा करते थे
ख़त में तुम्हें
दिल का
हर वाकया,
पैगामे-मुहब्बत
लिखा करते थे
होते थे तुम
हमारे खुदा
और हम तुमसे
ख़त के बहाने
फ़रियाद
किया करते थे
मुद्दतों बाद
मिलने पर
तुमने कहा,
तो तुम्हें
याद है
कि कभी तुम, हमें
ख़त लिखा करते थे
कहाँ गए वो ज़माने
जब तुम
हमारे हुआ करते थे
-आराधना सिंह
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