देखा जब भी
गुजरे हुए सालो की तरफ
याद आया
मोहब्बतों का वो ज़माना
जब
दिल की तेज़ होती
धडकनों को छिपाते थे
सुबहो-शाम तुम्हारा ही
इंतज़ार करते
फिर भी ये बातें
तुन्हीं से छिपाते थे
और तुम भी तो
एक मेरी खातिर
सारे ज़माने से
कितना झूठ
बोल जाते थे
फुरसत में सोचो तो
लगता है
ये लम्हां
अभी अभी तो
गुज़रा है
मोहब्बतों में
यही दिलचस्प है, कि
किरदार तो मरते रहते है
लेकिन
इसकी दास्ताँ हमेशा
दोहराई जाती है
और यादें,
वो तो
सदाबहार जवां,
अमर बनी रहती है
-आराधना सिंह
गुजरे हुए सालो की तरफ
याद आया
मोहब्बतों का वो ज़माना
जब
दिल की तेज़ होती
धडकनों को छिपाते थे
सुबहो-शाम तुम्हारा ही
इंतज़ार करते
फिर भी ये बातें
तुन्हीं से छिपाते थे
और तुम भी तो
एक मेरी खातिर
सारे ज़माने से
कितना झूठ
बोल जाते थे
फुरसत में सोचो तो
लगता है
ये लम्हां
अभी अभी तो
गुज़रा है
मोहब्बतों में
यही दिलचस्प है, कि
किरदार तो मरते रहते है
लेकिन
इसकी दास्ताँ हमेशा
दोहराई जाती है
और यादें,
वो तो
सदाबहार जवां,
अमर बनी रहती है
-आराधना सिंह
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