Wednesday, 3 April 2013

जब भी शिकस्त खाई

दिल ने
जब भी
शिकस्त खाई
मुझे तुम्हारी वफायें
बहुत याद आई

और याद आया
तुम्हारा
मेरे करीब से
गुज़र जाना,
चार कदम
आगे जा कर
ठहर जाना,
मुड़ कर तसल्ली करना
कि क्या मेरी निगाहें
तुम्हारा पीछा कर रही है ?

फिर
एक दिन
बातों-बातों में
तुम्हारा
मुझसे पूछ ये लेना कि
मोहब्बतों के खेल में
क्या होता है?

और याद आता है
इस पर
मेरा जवाब देना कि
ये खतरनाक खेल होता है,
जिंदगी में हमेशा
जीतने वाले भी
अक्सर
इसमें मात खा जाते है

सच, जब भी ये दिल
शिकस्त खाता है
दोस्त ! तुम
याद बेहिसाब आते हो
-आराधना सिंह

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