आज किसी ने
तुम्हारा ज़िक्र छेड़ा
और याद आ गई
मोहब्बत की बातें
वो नज़र के सलाम,
वो निगाहों से बातें,
वो महकते दिन,
वो बहकती रातें
दिल को रहता था
हरपल, मेरे हमदम
तुम्हारा ही इंतज़ार, इंतज़ार
बस इंतज़ार
हर आहट पर
लगता था
ये तुम हो,
तुम ही हो,
तुम ही तो, नहीं हो।
ख़त में भी लिखा करते थे
हम तुम्हें
ऐसी कितनी ही बातें
तुम कभी
मिलो तो सही, जानम,
हम कह देंगे तुमसे
कि किस तरह
तुम्हारें बिन
हमने काटे है दिन
गुजारी है रातें
-आराधना सिंह
तुम्हारा ज़िक्र छेड़ा
और याद आ गई
मोहब्बत की बातें
वो नज़र के सलाम,
वो निगाहों से बातें,
वो महकते दिन,
वो बहकती रातें
दिल को रहता था
हरपल, मेरे हमदम
तुम्हारा ही इंतज़ार, इंतज़ार
बस इंतज़ार
हर आहट पर
लगता था
ये तुम हो,
तुम ही हो,
तुम ही तो, नहीं हो।
ख़त में भी लिखा करते थे
हम तुम्हें
ऐसी कितनी ही बातें
तुम कभी
मिलो तो सही, जानम,
हम कह देंगे तुमसे
कि किस तरह
तुम्हारें बिन
हमने काटे है दिन
गुजारी है रातें
-आराधना सिंह