तुम्हारी
आँखों के
समंदर में,
सनम !
जिस पल उतरे थे
तब से आज तक
हमें वहाँ
क्या-कुछ
नहीं मिला
कई अनमोल
छिपे खजाने मिले
इस दुनिया से
जुदा
एक नई
दुनिया मिली
और
वो सब मिला
जो रंगीन ख्वाबो में देखा था,
मुहब्बत की किताबों में पढ़ा था,
खुशनुमा तन्हाइयों में सोचा था
और मैंने
वो सब भी पाया
जो कभी दुआओं में माँगा था
-आराधना सिंह
आँखों के
समंदर में,
सनम !
जिस पल उतरे थे
तब से आज तक
हमें वहाँ
क्या-कुछ
नहीं मिला
कई अनमोल
छिपे खजाने मिले
इस दुनिया से
जुदा
एक नई
दुनिया मिली
और
वो सब मिला
जो रंगीन ख्वाबो में देखा था,
मुहब्बत की किताबों में पढ़ा था,
खुशनुमा तन्हाइयों में सोचा था
और मैंने
वो सब भी पाया
जो कभी दुआओं में माँगा था
-आराधना सिंह