Friday, 29 March 2013

मरियल आदमी

मरियल आदमी

मेरे देश में
कुछ चर्चित लोग ....
जो बातें बहुत करते है
कीचड़ उछालने में,
हो-हल्ला-हुडदंग मचाने में,
आधारहीन मुद्दा उठाने में,
मरियल आदमी को बेवकूफ बनाने में
जो सबसे आगे रहते है

जब भी
इनके बोलने का,
मुखर होने का
वक़्त आता है
तो ये सब के सब
चर्चित लोग
मौन व्रत धारण कर
कहीं अज्ञातवास को चले जाते है
और माहौल शांत होने पर
अपने रहस्यमय अज्ञातवास को
एक सार्थक तपस्या बताते हुए
समझौते की दूकान जमाने
वापस पुराने ठिकानो पर लौट आते है

और मेरे देश का
मरियल आदमी
बेचारा अकेला ही
पुलिस की,
वकील की,
बाबुओं की,
पटवारी और तहसीलदार
जैसे भ्रष्ट चाकरों की
गालियाँ सुनते हुए
लुटेरी व्यवस्था को कोसते हुए
अपनी फटी जेब
खाली करता जाता है

ये मरियल आदमी की
और मेरे देश की
त्रासदी है कि
स्वार्थी लीडरो के कारण
यहाँ कभी कोई सार्थक क्रांति नहीं हुई

ये जितने भी है
लाल, गेरुए, हरे और रंग-बिरंगे झण्डे वाले
बड़े पहुँचे खिलाड़ी है
छुपे-रुस्तम और घाघ आदमी है

मेरे देश के मरियल आदमी को
इन सबने बेचारा-मजबूर बना रखा है
सरकार की मेहरबानी से
मरियल आदमी
अपना पेट भरने के
जुगाड़ में ही व्यस्त है
इस मरियल को
इस जुगाड़ की कवायद से
फुर्सत मिले
तो बेचारा! वो आगे की सोचे

लेकिन अब लगता है ...
अनुभव कहता है कि
इस मरियल आदमी के
भीतर जो चिंगारी है
वो किसी दिन शोला बन के भड़केगी
और मेरे देश में भी
इस मरियल आदमी की अगुवाई में
एक जबर्दस्त क्रांति ज़रूर हो कर रहेगी
-आराधना सिंह

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