चाहतों में
बिछड़ने पर भी
हमारे पास
रह जाती है
कुछ अमिट
निशानियाँ
जो सदैव
महफूज़ रहती है
हमारे साथ
हमसाया बन कर
देती है भरोसा
किसी के होने का
तब भी
जबकि हमारा
मिलना न हो पाता हो
अपने बिछड़े
महबूब से
बरसो-बरस तक
और कई बार तो
मरते दम तक
फिर भी निशानियाँ
बनी रहती है
हमारे साथ :
धरोहर बन कर
विरासत बन कर
इतिहास बन कर
उनके होने से
महकने लगती है
समस्त फिजाएँ
अनगिनत फूलों की
सुवासित गंध से
जीवंत हो उठती है
अतीत की
कई तस्वीरें
निगाहों के सामने
और दिल
फिर से ढूंढ़ ही लेता है
जीने के बहाने
इन्हीं
निशानिओं के बहाने
-आराधना सिंह
बिछड़ने पर भी
हमारे पास
रह जाती है
कुछ अमिट
निशानियाँ
जो सदैव
महफूज़ रहती है
हमारे साथ
हमसाया बन कर
देती है भरोसा
किसी के होने का
तब भी
जबकि हमारा
मिलना न हो पाता हो
अपने बिछड़े
महबूब से
बरसो-बरस तक
और कई बार तो
मरते दम तक
फिर भी निशानियाँ
बनी रहती है
हमारे साथ :
धरोहर बन कर
विरासत बन कर
इतिहास बन कर
उनके होने से
महकने लगती है
समस्त फिजाएँ
अनगिनत फूलों की
सुवासित गंध से
जीवंत हो उठती है
अतीत की
कई तस्वीरें
निगाहों के सामने
और दिल
फिर से ढूंढ़ ही लेता है
जीने के बहाने
इन्हीं
निशानिओं के बहाने
-आराधना सिंह
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