Thursday, 28 March 2013

तुमसे बिछड़ते ही

तुमसे बिछड़ते ही
मुझे यूँ लगा तो था
कि तुम
मुझसे दूर
हो कर भी
कितनी दूर जाओगे ?

तुम इस कदर
मेरी हर साँसों में
धडकनों में
बस जाओगे
मैंने ये तो
सोचा ही नहीं था

हम बिछड़े है
उस दिन से
आज तक
हर सुबह
तुम्हारा
सलाम लेकर आई
और शाम होते ही
एक सदा
तुम्हारी दुआओं की
तस्कीन करने आई

तुम बिछड़े क्या दोस्त?
बिछड़ते ही
बहुत करीब हो गए
मेरे भीतर-बाहर
सब जगह हो गए
-आराधना सिंह

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