Friday, 28 September 2012

Kaif Bhopali, शायर कैफ भोपाली ( کیف بھوپالی)

Kaif Bhopali

1.
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
 तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है

तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है

आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझाते बुझाते एक ज़माना लगता है

सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है
हंसता चेहरा एक बहाना लगता है 


Tera chehra kitna suhana lagta hai 
tere aage chand purana lagta hai

tirchhe tirchhe teer nazar ke lagte hain 
sidha sidha dil pe nishana lagta hai

aag ka kya hai pal do pal main lagti hai 
bujhte bujhte ek zamana lagta hai

sach to ye hai phool ka dil bhi chalni hai 
hansta chehra ek bahana lagta hai
2.
 कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा
कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाज़ा हवाओं ने हिलाया होगा

दिल-ए-नादाँ न धड़क, ऐ दिल-ए-नादाँ न धड़क
कोई ख़त लेके पड़ोसी के घर आया होगा

गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो
आँधियों तुम ने दरख्तों को गिराया होगा 

'कैफ' परदेस में मत याद करो अपना मकान
अब के बारिश में उसे तोड़ गिराया होगा  


Kaun aayegaa yahaa’n koii na aayaa hogaa 
meraa daravaazaa havaao’n ne hilaayaa hogaa

dil-e-naadaan na dhadak, ai dil-e-naadaan na dhadak 
koii khat leke padosii ke ghar aayaa hogaa

gul se lipaTii huii titalii ko giraakar dekho 
aandhiyo’n tum ne drakhto’n ko giraayaa hogaa

'Kaif' parades me’n mat yaad karo apanaa makaan 
ab ke baarish me’n use tod giraayaa hogaa
 English Translation

Kaun aayega yahan koi na aaya hoga,
Mera darwaaza hawaon nay hilaaya hoga !

[Who will come here, nobody must have come here,
Winds may have thrown open my door !]

Dil-e-naadan na dhadk ay dil-e-naadan na dhadak,
Koi khat ley kay padosi kay ghar aaya hoga !

[My poor heart, stop beating, my poor heart, stay calm,
Somebody may have come to deliver the letter to my neighbor !]

Gul say lipti hui titli ko gira kar dekho,
Aandhiyaan tumnay darakhton ko giraaya hoga !

[Let us see how you can fly away the butterfly from a flower,
Oh ! Storms, you may have uprooted the trees !]

Kaif pardes mein mat yaad karo apna makaan,
Ab kay baarish nay usay tod giraaya hoga !

['Kaif', don't remember your home while staying overseas,
This season, rains may have demolished that house !]

Kaun aayega yahan koi na aaya hoga,
Mera darwaaza hawaon nay hilaaya hoga !

[Who will come here, nobody must have come here,
Winds may have thrown open my door !]

3. 
क्यों फिर रहे हो कैफ़ ये ख़तरे का घर लिए
क्यों फिर रहे हो कैफ़ ये ख़तरे का घर लिए
ये कांच का शरीर ये काग़ज़ का सर लिए

शोले निकल रहे हैं गुलाबों के जिस्म से
तितली न जा क़रीब ये रेशम के पर लिए

जाने बहार नाम है लेकिन ये काम है
कलियां तराश लीं तो कभी गुल क़तर लिए

रांझा बने हैं, कैस बने, कोहकन बने
हमने किसी के वास्ते सब रूप धर लिए

ना मेहरबाने शहर ने ठुकरा दिया मुझे
मैं फिर रहा हूं अपना मकां दर-ब-दर लिए 
4.
 दरो-दीवार पे शक्लें-सी बनने आई
दरो-दीवार पे शक्लें-सी बनने आई
फिर ये बारिश मेरी तन्हाई चुराने आई

जिंदगी बाप की मानिंद सज़ा देती है
रहम-दिल माँ की तरह मौत बचाने आई

आजकल फिर दिले-बेताब की बातें हैं
वही हम तो समझे थे के कुछ अक्ल ठिकाने आई

दिल में आहट-सी हुई, रूह में दस्तक गूंजी
किसकी खुशबू मुझे ये मेरे सिरहाने आई

मैंने जब पहले-पहल अपना वतन छोड़ा था
दूर तक मुझको इक आवाज़ बुलाने आई

तेरी मानिंद तेरी याद भी ज़ालिम निकली
जब भी आई है, मेरा दिल ही दुखाने आई 


Daro-deewar pe shakleN-si banane aaii
Phir ye barish meri tanhaaii churane aaii.

Zindgi baap ki manind sazaa deti hai
Raham-dil maaN kii tarah maut bachane aaii.

Aajkal phir dile-betaab kii bateN haiN wahi
Hum to samjhe the ke kuchh akl thikane aaii.

Dil meiN aahat-si hui, rooh mein dastak guNjii
Kiski khushboo mujhe ye mere sirhane aaii.

Maine jab pehle-pehal apna watan chhoda tha
Door tak mujhko ik aawaaz bulane aaii.

Teri manind teri yaad bhi zalim nikli
Jab bhi aaii hai, mera dil hi dukhane aaii.
5.
झूम के जब रिन्दों ने पिला दी
झूम के जब रिन्दों ने पिला दी
शेख ने चुपकेचुपके दुआ दी

एक कमी थी ताज महल में
हमने तेरी तस्वीर लगा दी

आप ने झूठा वादा कर के
आज हमारी उम्र बड़ा दी

तेरी गली में सजदे कर के
हमने इबादतगाह बना दी 


Jhuum ke jab rindo’n ne pilaa dii 
shekh ne chupke chupke duaa dii

ek kamii thii taaj mahal me’n 
hamane terii tasviir lagaa dii

aap ne jhoothaa vaadaa kar ke 
aaj hamaarii umr badhaa dii

terii galii me’n sajde kar ke 
hamane ibaadatgaah banaa dii
6.
दाग दुनिया ने दिए ज़ख्म ज़माने से मिले
दाग दुनिया ने दिए ज़ख्म ज़माने से मिले
हम को ये तोहफे तुम्हें दोस्त बनाने से मिले

हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे
वो फलाने से फलाने से फलाने से मिले 

खुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता
क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले

कैसे माने के उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ'
उन के ख़त आज हमें तेरे सरहाने से मिले  


Daagh duniyaa ne diye zakhm zamaane se mile
ham ko ye tohafe tumhen dost banaane se mile

ham tarasate hii taraste hii tarasate hii rahe 
vo falaane se falaane se falaane se mile

Khud se mil jaate to chaahat kaa bharam rah jaataa 
kyaa mile aap jo logo’n ke milaane se mile

kaise maane ke unhe’n bhuul gayaa tuu ai 'Kaif' 
un ke khat aaj hame’n tere sarahaane se mile
7.
हाय लोगों की करम-फर्माइयां
हाय लोगों की करम-फर्माइयां
तोहमतें, बदनामियाँ, रुसवाइयां

(करम-फर्माइयां:तरफदारी, पक्ष लेना)

ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ, मजबूरियां, तन्हाइयां

क्या ज़माने में यूं ही कटती है रात
करवटें, बेताबियाँ, अंगडाइयां

क्या यही होती है शाम-ए-इन्तिज़ार
आहटें, घबराहटे, परछाइयां

एक पैकर में सिमट कर रह गयीं
खूबियाँ, ज़ेबाइयां, रानाइयां

(पैकर:आभास,उपस्थिति; ज़ेबाइयां:शालीनता; रानाइयां:सौन्दर्य)

ज़ख्म दिल के फिर हरे करने लगीं
बदलियाँ, बरखा रुतें, पुरवाइयां

“कैफ” पैदा कर समंदर की तरह
वुसतें, खामोशियाँ, गहराइयां

(वुसतें:फैलाव, विस्तार)
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Movie: Pakeeza
Singer(s): Latamangeshkar and Koras
Music Director: Ghulam Mohammad
Lyricist: Kaif Bhopali
Actors/Actresses:Ashok Kumar, Rajkumar, Meena Kumari
Year: 1971

आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे
(तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख़्म-ए-जिगर देखेंगे) - 2

आप तो आँख मिलाते हुए शरमाते हैं,
आप तो दिल के धड़कने से भी डर जाते हैं फिर भी ये जिद है के हम ज़ख़्म-ए-जिगर देखेंगे,
(तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख़्म-ए-जिगर देखेंगे) - 2

प्यार करना दिल-ए-बेताब बुरा होता है
सुनते आए हैं के ये ख्वाब बुरा होता है
आज इस ख्वाब की ताबीर मगर देखेंगे
(तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख़्म-ए-जिगर देखेंगे) - 2

जानलेवा है मुहब्बत का समा आज की रात
शम्मा हो जाएगी जल जल के धुआँ आज की रात
आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे (2)
(तीर-ए-नज़र देखेंगे, ज़ख़्म-ए-जिगर देखेंगे) - 2
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