Wednesday, 26 September 2012

शायर गीतकार जावेद अख्तर, Shayar-Poet-lyricist Javed Akhtar

Shayar-Poet-lyricist Javed Akhtar
Born : January 17, 1945 
 1.
 ये तेरा घर ये मेरा घर
ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर
तो पहले आके माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र
ये घर बहुत हसीन है

न बादलों की छाँव में, न चाँदनी के गाँव में
न फूल जैसे रास्ते, बने हैं इसके वास्ते

मगर ये घर अजीब है, ज़मीन के क़रीब है
ये ईँट पत्थरों का घर, हमारी हसरतों का घर

जो चाँदनी नहीं तो क्या, ये रोशनी है प्यार की
दिलों के फूल खिल गये, तो फ़िक्र क्या बहार की

हमारे घर ना आयेगी, कभी ख़ुशी उधार की
हमारी राहतों का घर, हमारी चाहतों का घर

यहाँ महक वफ़ाओं की है, क़हक़हों के रंग है
ये घर तुम्हारा ख़्वाब है, ये घर मेरी उमंग है

न आरज़ू पे क़ैद है, न हौसले पर जंग है
हमारे हौसले का घर, हमारी हिम्मतों का घर
2.
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी
मेरे हालात की आंधी में बिखर जाओगी

रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ
ये तो बस मैं हूँ के इस हाल में भी ज़िन्दा हूँ
ख़्वाब क्यूँ देखूँ वो कल जिसपे मैं शर्मिन्दा हूँ
मैं जो शर्मिन्दा हुआ तुम भी तो शरमाओगी

क्यूं मेरे साथ कोई और परेशान रहे
मेरी दुनिया है जो वीरान तो वीरान रहे
ज़िन्दगी का ये सफ़र तुमको तो आसान रहे
हमसफ़र मुझको बनाओगी तो पछताओगी

एक मैं क्या अभी आयेंगे दीवाने कितने
अभी गूंजेगे मुहब्बत के तराने कितने
ज़िन्दगी तुमको सुनायेगी फ़साने कितने
क्यूं समझती हो मुझे भूल नही पाओगी
3.
 प्‍यास की कैसे लाए ताब कोई
प्‍यास की कैसे लाए ताब कोई
नहीं दरिया तो हो सराब कोई

रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत शराब कोई

कौन सा ज़ख्‍म किसने बख्‍शा है
उसका रखे कहाँ हिसाब कोई

फिर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की
आने वाला है फिर अज़ाब कोई
4.
मैनें दिल से कहा
मैनें दिल से कहा
ऐ दीवाने बता
जब से कोई मिला
तू है खोया हुआ
ये कहानी है क्या
है ये क्या सिलसिला
ऐ दीवाने बता

मैनें दिल से कहा
ऐ दीवाने बता
धड़कनों में छुपी
कैसी आवाज़ है
कैसा ये गीत है
कैसा ये साज़ है
कैसी ये बात है
कैसा ये राज़ है
ऐ दीवाने बता

मेरे दिल ने कहा
जब से कोई मिला
चाँद तारे फ़िज़ा
फूल भौंरे हवा
ये हसीं वादियाँ
नीला ये आसमाँ
सब है जैसे नया
मेरे दिल ने कहा
5.
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
 ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
प्यार की राह के हमसफ़र
किस तरह बन गये अजनबी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
फूल क्यूँ सारे मुरझा गये
किस लिये बुझ गई चाँदनी
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

कल जो बाहों में थी
और निगाहों में थी
अब वो गर्मी कहाँ खो गई
न वो अंदाज़ है
न वो आवाज़ है
अब वो नर्मी कहाँ खो गई
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी

बेवफ़ा तुम नहीं
बेवफ़ा हम नहीं
फिर वो जज़्बात क्यों सो गये
प्यार तुम को भी है
प्यार हम को भी है
फ़ासले फिर ये क्या हो गये
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी
6.
उलझन
करोडो चेहरे
और
उनके पीछे
करोडो चेहरे
ये रास्ते है की भीड़ है छते
जमीं जिस्मो से ढक गई है
कदम तो क्या तिल भी धरने की अब जगह नहीं है
ये देखता हूँ तो सोचता हूँ
की अब जहाँ हूँ
वहीँ सिमट के खड़ा रहूँ मै
मगर करूँ क्या
की जानता हूँ
की रुक गया तो
जो भीड़ पीछे से आ रही है
वो मुझको पेरों तले कुचल देगी, पीस देगी
तो अब चलता हूँ मै
तो खुद मेरे पेरों मे आ रहा है
किसी का सीना
किसी का बाजू
किसी का चेहरा
चलूँ
तो ओरों पे जुल्म ढाऊ
रुकूँ
तो ओरों के जुल्म झेलूं
जमीर
तुझको तो नाज है अपनी मुंसिफी पर
जरा सुनु तो
की आज क्या तेरा फैसला है
7.
कभी यूं भी तो हो
कभी यूं भी तो हो
कभी यूं भी तो हो
दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ
कभी यूं भी तो हो
कभी यूं भी तो हो
परियों की महफिल हो कोई तुम्हारी बात हो और तुम आओ
कभी यूं भी तो हो
कभी यूं भी तो हों
कभी यूं भी तो हो
ये नरम मुलायम ठंडी हवाएं जब घर से तुम्हारे गुजरे, तुम्हारी खुश्बू चुराएं,
मेरे घर ले आयें,
कभी यूं भी तो हो,
कभी यूं भी तो हो,
सूनी हर महफिल हो कोई न मेरे साथ हो,
और तुम आओ,
कभी यूं भी तो हो,
कभी यूं भी तो हो,
कभी यूं भी तो हो
ये बादल टूट कर ऐसा बरसे
मेरे दिल की तरह तुम्हारा दिल भी मिलने को तरसे,
तुम निकलो घर से,
कभी यूं भी तो हो
कभी यूं भी तो हो,
तन्हाई हो दिल हो, बूंदें हों बरसात हों और तुम आओ,
कभी यूं भी तो हो
कभी यूं भी तो हो,
दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ
कभी यूं भी तो हो
कभी यूं भी तो हो
English
Kabhi Yoon Bhi To Ho
kabhi yun bhi to ho -2
dariyaa kaa saahil ho, poore chaand ki raat ho
aur tum aao
kabhi yun bhi to ho -2
pariyon ki mahfil ho, koi tumhaari baat ho
aur tum aao
kabhi yuN bhi to ho -2

kabhi yuN bhi to ho
ye naram mulaayam thandi havaayen
jab ghar se tumhaare guzaren, tumhaari khushboo churaayen
mere ghar le aayen
kabhi yun bhi to ho -2

sooni har mahfil ho, koi naa mere saath ho
aur tum aao
kabhi yun bhi to ho -2

kabhi yun bhi to ho
ye baadal aisaa toot ke barse
mere dil ki tarah milne ko, tumhaara dil bhi tarse
tum niklo ghar se
kabhi yun bhi to ho -2
tanhaai ho dil ho, boonde hon barsaat ho aur tum aao
kabhi yun bhi to ho -2
dariyaa kaa saahil ho, poore chaand ki raat ho
aur tum aao
kabhi yun bhi to ho -4 
8. 
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
दर्द के फूल भी खिलते हैं बिखर जाते हैं
ज़ख्म कैसे भी हों कुछ रोज़ में भर जाते हैं

उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी
सर झुकाए हुए चुप-चाप गुज़र जाते हैं

रास्ता रोके खडी है यही उलझन कब से
कोई पूछे तो कहें क्या की किधर जाते हैं

नर्म आवाज़ भली बातें मोहज्ज़ाब लहजे
पहली बारिश में ही ये रंग उतर जाते हैं
9.
दर्द अपनाता है पराये कौन
दर्द अपनाता है पराये कौन
कौन सुनता है और सुनाये कौन

कौन दोहराए वो पुरानी बात
गम अभी सोया है जगाये कौन

वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुःख झेले आज़माए कौन

अब सुकून है तो भूलने में है
लेकिन उस शख्स को भुलाए कौन

आज फिर दिल है कुछ उदास उदास
देखिये आज याद आये कौन 
10.
मैं और मेरी आवारगी
फिरते हैं कब से दर-ब-दर अब इस नगर अब उस नगर
एक दूसरे के हमसफ़र मैं और मेरी आवारगी
ना आशना हर रहगुज़र ना मेहरबान है एक नज़र
जाएँ तो अब जाएँ किधर मैं और मेरी आवारगी

हम भी कभी आबाद थे ऐसे कहाँ बर्बाद थे
बिफिक्र थे आज़ाद थे मसरूर थे दिलशाद थे
वो चाल ऐसी चल गया हम बुझ गए दिल जल गया
निकले जला के अपना घर मैं और मेरी आवारगी

वो माह-ए-वश वो माह-ए-रूह वो माह-ए-कामिल हू-ब-हू
थीं जिस की बातें कू-ब कू उस से अजब थी गुफ्तगू
फिर यूं हुआ वो खो गई और मुझ को जिद सी हो गई
लायेंगे उस को ढूँढ़  कर मैं और मेरी आवारगी

ये दिल ही था जो सह गया वो बात ऎसी कह गया
कहने को फिर क्या रह गया अश्कों का दरिया बह गया
जब कह कर वो दिलबर गया तेरे लिए मैं मर गया
रोते हैं उस को रात भर मैं और मेरी आवारगी

अब गम उठायें किस लिए ये दिल जलाएं किस लिए
आंसू बहायें किस लिए यूं जान गवाएं किस लिए
पेशा न हो जिस का सितम, ढूँढेंगे अब ऐसा सनम
होंगे कहीं तो कारगर मैं और मेरी आवारगी

आसार हैं सब खोट के इमकान हैं सब चोट के
घर बंद हैं सब कोट के अब ख़त्म है सब टोटके
किस्मत का सब ये खेल है अंधेर ही अंधेर है
ऐसे हुए हैं बेअसर मैं और मेरी आवारगी

जब हम-दम-ओ-हमराज़ था तब और ही अंदाज़ था
अब सोज़ है तब साज़ था अब शर्म है तब नाज़ था
अब मुझ से हो तो हो भी क्या है साथ वो तो वो भी क्या
एक बेहुनर एक बेसबर मैं और मेरी आवारगी 
11.
मुझको यकीन है सच कहती थीं
मुझको यकीन है सच कहती थीं जो भी अम्मी कहती थीं
जब मेरे बचपन के दिन थे चाँद में परियां रहती थीं

इक ये दिन जब अपनों ने भी हमसे रिश्ता तोड़ लिया
इक वो दिन दिन जब पेड़ की शाखें बोझ हमारा सहती थीं

इक ये दिन जब लाखों गम और काल पडा है आंसू का
इक वो दिन जब एक ज़रा सी बात पे नदियाँ बहती थीं

इक ये दिन जब सारी सड़कें रुठी रुठी लगती हैं
इक वो दिन जब 'आओ खेलें' सारी गलियाँ कहती थीं

इक ये दिन जब जागी रातें दीवारों को तकती हैं
इक वो दिन जब शामों की भी पलकें बोझल रहती थीं

इक ये दिन जब ज़हन में सारी अय्यारी की बातें हैं
इक वो दिन जब दिल में सारी भोली बातें रहती थीं

इक ये घर जिस घर में मेरा साज़-ओ-सामान रहता है
इक वो घर जिसमें मेरी बूढी नानी रहती थीं 
12.
आज मैंने अपना फिर सौदा किया
आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया

जिन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके मैं उन्‍हें बेचा किया

कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्‍या कहते कि तुमने क्‍या किया

हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी
खैर तुमने जो किया अच्‍छा किया
 English
Aaj Maine Apna phir Sauda kiya
Aur phir main Door se Dekha kiya

Zindagi bhar mere Kaam aaye Usool
Ek Ek karke unhe Becha kiya

Kuch Kami apni Wafaon mein bhi thi
Tumse kya Kehte ke Tumne kya kiya

Ho gayi thi Dil ko kuch Umeed si
Khair Tumne jo kiya Acha kiya
13.
जाने के लिए मत आना
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ अहसान जताने के लिए मत आना

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं

ये हँसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना
प्‍यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं

चाहने वालों की तक़बीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई

तुम कांई रस्‍म निभाने के लिए मत आना
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ अहसान जताने के लिए मत आना


 English
Ab Agar Aao To Jaane Ke Liye Mat Aana,
Sirf Ehsaan Jatane Ke Liye Mat Aana,

Maine Palko Pe Tamannaye Saja Rakhe Hai,
Dil Main Umeed Ki Sau Shamme Jala Rakhi Hai,

Yeh Shamme Bujhane Ke Liye Mat Aana,
Pyar Ki Aag Me zanjeere Phighal Jati Hain,

Chahne Walo Ki Takdire Badal Jati Hain,
Tum Ho Bebas, Ye Batane Ke Liye Mat Aana,

Ab Tum Aana, Agar Tumhe Mujhse Mohabat Hai,
Mujhse Milne Ki Agar Tumko Bhi Chahat Hai,

Tum Koi Rasam Nibhane Ke Liye Mat Aana,
Ab Agar Aao To Janay Ke Liye Mat Aana,
Sirf Ehsaan Jatane Ke Liye Mat Aana

14.
आसार-ए-कदीमा

एक पत्थर की अधूरी मूरत
चंद तांबें के पुराने सिक्के
काली चांदी के अजब जेवर
और कई कांसे के टूटे बर्तन

एक सहरा में मिले
जेरें-जमी
लोग कहते है की सदियों पहले
आज सहारा है जहां

वहीँ एक शहर हुआ करता था
और मुझको ये ख्याल आता है

किसी तकरीब
किसी महफ़िल में
सामना तुझसे मेरा आज भी हो जाता है
एक लम्हे को

बस एक पल के लिए
जिस्म की आंच
उचटती-सी नजर
सुर्ख बिंदिया की दमक

सरसराहट तेरी मलबूस  की
बालों की महक
बेख़याली में कभी
लम्स  का नन्हा फूल

और फिर दूर तक वही सहरा
वही सहरा की जहां
कभी एक शहर हुआ करता था
15.
लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे 
लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे
यही हालात इब्तदा से रहे
लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे

बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन
ये भी सच है कि बेवफ़ा-से रहे

इन चिराग़ों में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे

बहस, शतरंज, शेर, मौसीक़ी
तुम नहीं रहे तो ये दिलासे रहे

उसके बंदों को देखकर कहिये
हमको उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे

ज़िन्दगी की शराब माँगते हो
हमको देखो कि पी के प्यासे रहे

16.
सच ये है बेकार हमें गम होता है
सच ये है बेकार हमें गम होता है
जो चाहा था दुनिया में कम होता है

ढलता सूरज फैला जंगल रास्ता गुम
हमसे पूछो कैसा आलम होता है

गैरों को कब फुरसत है दुःख देने की
जब होता है कोई हम-दम होता है

ज़ख्म तो हम ने इन आँखों से देखे हैं
लोगों से सुनते हैं मरहम होता है

ज़हन की शाखों पर अशार आ जाते हैं
जब तेरी यादों का मौसम होता है 

17.
आप भी आइए, हम को भी बुलाते रहिए
आप भी आइए, हम को भी बुलाते रहिए
दोस्‍ती ज़ुर्म नहीं, दोस्‍त बनाते रहिए।

ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्‍म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।

वक्‍त ने लूट लीं लोगों की तमन्‍नाएँ भी,
ख्‍वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।

शक्‍ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई,
कभी बन जाएगी तसवीर, बनाते रहिए।

 English
Aap bhi aaiye, hum ko bhi bulate rahiye,
dosti jurm nahi dost banate rahiye.

Zeher pee jaiye, aur bantiye amrit sabko,
zakhm bhi khaiye aur geet bhi gate rahiye.

waqt ne loot lee logon ki tamanaein bhi,
khwab jo dekhiye auron ko dikhate rahiye.

shakal to aap ke bhi zehen mein hogi koi,
kabhi ban jayegi tasveer, banate rahiye.

18.
 मैं भूल जाऊं अब यही मुनासिब है
मैं भूल जाऊं अब यही मुनासिब है  
मगर भूलना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूं
की तुम तो फिर भी हकीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं
यहाँ तो दिल का ये आलम है क्या कहूँ
कमबख्त
भुला सका न ये सिलसिला जो था ही नहीं
वो इक ख़याल
जो आवाज़ तक गया ही नहीं
वो एक बात
जो मैं कह नहीं सका तुम से
वो एक रब्त
वो हम में कभी रहा ही नहीं
मुझे है याद वो सब
जो कभी हुआ ही नहीं
अगर ये हाल है दिल का तो कोई समझाए
तुम्हें भुलाना भी चाहूँ तो किस तरह भूलूं
की तुम तो फिर भी हकीक़त हो कोई ख़्वाब नहीं   

19.
हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हँसती आँखों में भी नमी-सी है

दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नब्ज़ भी थमी-सी है

किसको समझायें किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है

ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी-सी है

कह गए हम ये किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी-सी है

हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी-सी है

20.
तुमको देखा तो ये ख़याल आया
तुमको देखा तो ये ख़याल आया
ज़िन्दगी धूप तुम घना साया

आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया

तुम चले जाओगे तो सोचेंगे
हमने क्या खोया, हमने क्या पाया

हम जिसे गुनगुना नहीं सकते
वक़्त ने ऐसा गीत क्यूँ गाया

21.
 मिसाल इसकी कहाँ है ज़माने में
मिसाल इसकी कहाँ है ज़माने में
कि सारे खोने के ग़म पाये हमने पाने में

वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गई जैसे
अजीब बात हुई है उसे भुलाने में

जो मुंतज़िर न मिला वो तो हम हैं शर्मिंदा
कि हमने देर लगा दी पलट के आने में

लतीफ़ था वो तख़य्युल से, ख़्वाब से नाज़ुक
गँवा दिया उसे हमने ही आज़माने में

समझ लिया था कभी एक सराब को दरिया
पर एक सुकून था हमको फ़रेब खाने में

झुका दरख़्त हवा से, तो आँधियों ने कहा
ज़ियादा फ़र्क़ नहीं झुक के टूट जाने में

22.
 मुअम्मा ( पहेली )
हम दोनों जो  हर्फ़  थे
हम इक  रोज़ मिले
इक लफ्ज़ बना
और हमने इक माने पाए
फिर जाने क्या हम पर गुजरी
और अब यूँ है
तुम इक हर्फ़ हो
इक खाने में
मैं इक हर्फ़ हूँ
इक खाने में
बीच में
कितने लम्हों के खाने खाली हैं
फिर से कोई लफ्ज़ बने
और हम दोनों इक माने पायें
ऐसा हो सकता है
लेकिन सोचना होगा
इन खाली खानों में हमें भरना क्या है

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