इफ्तिखार आरिफ
मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे
मैं जिस मकान कें रहता हूँ उसको घर कर दे
ये रोशनी के तआकुब में भागता हुआ दिन
जो थक गया है तो अब उसको मुख़्तसर कर दे
मैं ज़िन्दगी की दुआ मांगने लगा हूँ बहुत
जो हो सके तो दुआओं को बे असर कर दे
सितारा -ए-सहरी डूबने को आया है
ज़रा कोई मेरे सूरज को बा-खबर कर दे
कबीला-वार कमाने कड़कने वाली है
मेरे लहू की गवाही मुझे निडर कर दे
मैं अपने खवाब से कटकर जियूं तो मेरा खुदा
उजाड़ दे मेरी मिटटी को दर-ब-दर कर दे
मायने:
मोतबर=आदरणीय , तआकूब=पीछा, सितारा-ए-सहरी=सुबह का तारा, कबीला=समूह
परिचय : इफ्तिखार आरिफ का जन्म लखनऊ में 21 मार्च 1943 को हुआ था. बाद में वे पाकिस्तान चले गए. वे मुशायरों के कामयाब शयर रहे है और एक दर्ज़न से ज्यादा उनके ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके है.
मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे
मैं जिस मकान कें रहता हूँ उसको घर कर दे
ये रोशनी के तआकुब में भागता हुआ दिन
जो थक गया है तो अब उसको मुख़्तसर कर दे
मैं ज़िन्दगी की दुआ मांगने लगा हूँ बहुत
जो हो सके तो दुआओं को बे असर कर दे
सितारा -ए-सहरी डूबने को आया है
ज़रा कोई मेरे सूरज को बा-खबर कर दे
कबीला-वार कमाने कड़कने वाली है
मेरे लहू की गवाही मुझे निडर कर दे
मैं अपने खवाब से कटकर जियूं तो मेरा खुदा
उजाड़ दे मेरी मिटटी को दर-ब-दर कर दे
मायने:
मोतबर=आदरणीय , तआकूब=पीछा, सितारा-ए-सहरी=सुबह का तारा, कबीला=समूह
परिचय : इफ्तिखार आरिफ का जन्म लखनऊ में 21 मार्च 1943 को हुआ था. बाद में वे पाकिस्तान चले गए. वे मुशायरों के कामयाब शयर रहे है और एक दर्ज़न से ज्यादा उनके ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके है.
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